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गायत्री चेतना केंद्र पर हुआ नवरात्र की पूर्णाहुति

गोरखपुर/ अखिल विश्व गायत्री परिवार, शान्तिकुंज, हरिद्वार के सतत् मार्गदर्शन में राप्तीनगर क्षेत्र के गायत्री चेतना केंद्र, गणेशपुरम पर नवरात्र का पूर्णाहुति गायत्री यज्ञ मुख्य यजमान राम लखन श्रीवास्तव के द्वारा पूजन कर वरिष्ठ परिव्राजक इंदल सिंह के द्वारा सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ गायत्री मंत्र से करके प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव पर विशेष प्रार्थना करते हुए शक्ति माँ महाकाली, माँ महालक्ष्मी, माँ महासरस्वती के वैदिक मंत्रों से आहुति प्रदान कर जन जन के स्वस्थ जीवन एवं उज्ज्वल भविष्य हेतु प्रार्थना किया गया। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ परिव्राजक इंदल सिंह ने बताया कि इस दिन भगवान राम की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम ने माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया था। भगवान श्री राम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में हुआ था।
कार्यक्रम के दौरान पत्रकार सुनील मणि त्रिपाठी को अंगवस्त्र एवं पूज्य गुरुदेव की लिखित पुस्तक गुरुवर का धरोहर देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मीडिया प्रभारी जितेंद्र वर्मा ने किया। अंत मे मुख्य ट्रस्टी दीना नाथ सिंह ने यज्ञ में उपस्थित देवतुल्य भाई बहनों का आभार व धन्यवाद व्यक्त किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से वरिष्ठ परिजन राम लखन श्रीवास्तव, अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह, अनिल त्रिपाठी, हेमन्त त्रिगुणायत, दिनेश प्रताप सिंह, राज कुमार सिंह, राज कौशिक, अनिता सिंह, मीरा वर्मा, सुमित्रा त्रिगुणायत, कमलेश सिंह पूर्वांचल राज्य ब्यूरो सुनील मणि त्रिपाठी सहित भारी संख्या में भक्तों की उपस्थिति रही।
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महायोगी गोरखनाथ केवीके में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक संपन्न, कृषि विकास को लेकर बनी कार्ययोजना

गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), गोरखपुर में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की चतुर्थ बैठक सफलता पूर्वक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता गुरु गोरक्षनाथ सेवा संस्थान के उपाध्यक्ष प्रोफेसर यू. पी. सिंह ने की। इस अवसर पर केंद्र के प्रभारी डॉ. एस. पी. सिंह, आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या के निदेशक प्रसार डॉ. आर. बी. सिंह, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के निदेशक डॉ. नागेंद्र राय, संयुक्त कृषि निदेशक गोरखपुर मंडल अरविंद कुमार सिंह, डीडीएम नाबार्ड दीप्ति पंत सहित जिले के प्रमुख कृषि अधिकारी, किसान उत्पादक संगठन के प्रतिनिधि, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

बैठक में केंद्र की वर्षभर की प्रगति रिपोर्ट और आगामी वर्ष की कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण डॉ. आर. के. सिंह ने किया। वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने केंद्र के कार्यों की प्रशंसा करते हुए सुझाव भी दिए, जिन्हें आगामी योजना में शामिल कर क्रियान्वयन किया जाएगा। प्रस्तावित योजना में शोध, प्रशिक्षण, कृषकों को नवीन तकनीक से जोड़ना, फसल प्रदर्शन और जागरूकता अभियान जैसे महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं।

बैठक के दौरान वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. अजीत श्रीवास्तव, डॉ. संदीप उपाध्याय, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. अवनीश सिंह, डॉ. श्वेता सिंह और अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे। बैठक में कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार, जैविक खेती, जल संरक्षण और महिला किसानों की भागीदारी जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई।
महायोगी गोरखनाथ केवीके की यह बैठक क्षेत्रीय कृषि विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इससे किसानों को उन्नत तकनीकों से लाभ मिलेगा और आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में नया मार्ग प्रशस्त होगा।
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गन्ने की एकल आंख विधि द्वारा उत्पादन पर होगा शोध – निदेशक डॉ. आर. विश्वनाथन

गोरखपुर/ महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (IISR), लखनऊ के निदेशक डॉ. आर. विश्वनाथन के नेतृत्व में गन्ना उत्पादन की नई विधियों पर शोध का काम शुरू किया जाएगा। इस शोध के दौरान गन्ने की “एकल आंख विधि” के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। यह विधि गन्ने के उत्पादन को तीव्र गति से बढ़ाने और गन्ना पौधों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकती है।

गोरखपुर के किसान अब गन्ने की खेती में रोगमुक्त पौधों का इस्तेमाल कर सकेंगे, जिससे उनकी फसल में होने वाली बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकेगा। इस दौरान भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, गोरखपुर के निदेशक डॉ. आर. विश्वनाथन ने गन्ना उत्पादन की नई तकनीक “प्रो ट्रे तकनीक” को भी किसानों से साझा किया। यह तकनीक किसानों को अपने खेतों में बिना ज्यादा जगह के अधिक गन्ने की पौध तैयार करने में मदद करेगी।

नई तकनीकों का प्रदर्शन और गन्ना बीज शोधन यंत्र की कार्यशाला
गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. आर. के. सिंह ने भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के निदेशक डॉ. आर. विश्वनाथन, प्रधान वैज्ञानिक कीट विज्ञान डॉ. अरुण बैठा, और वैज्ञानिक पादप रोग डॉ. चंद्रमणि राज के साथ केंद्र का भ्रमण किया। इस दौरान उपकार प्रोजेक्ट के तहत गन्ना बीज शोधन यंत्र और गन्ना कटाई यंत्र का भी प्रदर्शन किया गया।

इन यंत्रों के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. अरुण बैठा और डॉ. चंद्रमणि राज ने बताया कि गन्ने के बीज शोधन यंत्र से कम समय में अधिक बीज का शोधन किया जा सकता है, और वह भी कम दवाई के उपयोग से। इस तकनीक से गन्ना बीज में होने वाली बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे किसानों को स्वस्थ गन्ना पौध मिल सके।
इसके अतिरिक्त, गन्ना कटाई यंत्र के बारे में भी विस्तार से बताया गया। इस यंत्र का उपयोग गन्ने की कटाई के बाद बचे हुए गन्ने को शुगर मिल में भेजने या फिर गुड़ बनाने में किया जा सकता है। इससे न केवल किसानों की लागत में कमी आएगी, बल्कि उनके मुनाफे में भी बढ़ोतरी हो सकेगी।
किसानों के लाभ में वृद्धि
इस कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया गया कि गन्ना उत्पादन के इन नए उपकरणों का उपयोग किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। जहां एक ओर गन्ना बीज शोधन यंत्र के इस्तेमाल से कम समय में अधिक कार्य हो सकेगा, वहीं दूसरी ओर गन्ना कटाई यंत्र के इस्तेमाल से मजदूरी की लागत में भी कमी आएगी। यह कदम किसानों को अधिक मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करेगा, जिससे गन्ना उत्पादन में भी सुधार होगा।
कार्यक्रम में गोरखपुर के एक दर्जन से अधिक किसान भी उपस्थित थे। इस मौके पर गोरखपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के सस्य वैज्ञानिक डॉ. अवनीश कुमार सिंह, मृदा वैज्ञानिक डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय, मैनेजर आशीष कुमार सिंह, लैब टेक्नीशियन जितेंद्र कुमार सिंह समेत अन्य विशेषज्ञों ने भी अपनी राय दी।
इस तरह के शोध और तकनीकी पहल गोरखपुर के किसानों के लिए एक नई दिशा और अवसर प्रस्तुत करते हैं। गन्ने की खेती में सुधार के लिए किए गए ये प्रयास न केवल उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगे, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाएंगे। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की यह पहल गन्ना किसानों को एक मजबूत और आधुनिक तकनीकी आधार देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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एक अप्रैल को जीवन दिवस के रूप में मनाने का आह्वान: डॉ. गोस्वामी गौरव भारती

गोरखपुर/ राष्ट्रीय विद्यालय प्रबंधक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गोस्वामी गौरव भारती के नेतृत्व में 1 अप्रैल को ‘मूर्ख दिवस’ की पुरानी और गलत अवधारणा को बदलने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। इस दिन को अब ‘जीवन दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। डॉ. गोस्वामी गौरव भारती के आह्वान पर यह कदम उठाया गया है ताकि समाज के प्रत्येक वर्ग को इस दिन के सही महत्व का अहसास हो और हम इसे सकारात्मक रूप से मनाएं। इस अवसर पर प्रदेश और जनपद के सभी निजी विद्यालयों में वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ ‘जीवन दिवस’ का आयोजन किया जाएगा।

भारत में 1 अप्रैल को नववर्ष का शुभारंभ होता है, जो भारतीय आर्थिक और शैक्षिक सत्र की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन पिछले कई दशकों से इसे ‘मूर्ख दिवस’ के रूप में मनाया जाता रहा है। अब इस दिन को सकारात्मक रूप से मनाने के लिए राष्ट्रीय विद्यालय प्रबंधक संघ ने यह संकल्प लिया है। डॉ. गोस्वामी गौरव भारती ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह दिन हमारी स्मृतियों में जीवन के उत्सव के रूप में रहे, न कि मूर्खता के प्रतीक के रूप में।”

कार्यक्रम के तहत जिला अध्यक्ष गणेश प्रसाद शर्मा ने जनपद के प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें इस महत्वपूर्ण आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी और जिला वन अधिकारी से अपील की कि वे भी इस दिन को जीवन दिवस के रूप में मनाने के लिए अपने संबंधित विभागों में कार्यक्रम आयोजित करें और समाज को जागरूक करें।
गणेश शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय विद्यालय प्रबंधक संघ ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गोस्वामी गौरव भारती के नेतृत्व में इस पहल को और व्यापक बनाने की योजना बनाई है। इसके तहत प्रत्येक विद्यालय के छात्रों को एक पौधा लगाने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा, छात्र एक पौधा अपने घर पर भी लगाएंगे, ताकि इस दिन की यादें उनके जीवन में हमेशा बनी रहें।
संघ ने यह भी अपील की है कि समाज के हर वर्ग को इस पहल का हिस्सा बनना चाहिए। उन्हें अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और अन्य माध्यमों के जरिए जीवन दिवस के महत्व को फैलाना चाहिए। इस दिन को भारतीय सनातन संस्कृति के नववर्ष के रूप में बड़े उत्साह और मंगलमय तरीके से मनाने की आवश्यकता है।
संघ ने इस ऐतिहासिक पहल को एक वैश्विक आंदोलन बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें हर व्यक्ति और समाज का हर वर्ग शामिल हो। इसका उद्देश्य समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और जीवन के महत्व को समझाना है। प्रत्येक व्यक्ति से अपील की गई है कि वे 1 अप्रैल को ‘जीवन दिवस’ के रूप में मनाने के इस अभियान में अपना योगदान दें और अपने घर पर एक पौधा लगाकर इस दिन को यादगार बनाएं।
राष्ट्रीय विद्यालय प्रबंधक संघ का यह प्रयास समाज में एक नई दिशा देने के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकता है। इस आयोजन के जरिए हम 1 अप्रैल को ‘मूर्ख दिवस’ के कलंक को मिटाकर इसे जीवन, पर्यावरण और जागरूकता के प्रतीक के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
इस कार्यक्रम के तहत हम सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि हम न केवल एक दिन, बल्कि पूरे वर्ष पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करें। जीवन दिवस का आयोजन न केवल पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देगा, बल्कि यह हमारे बच्चों को भी जीवन के महत्व और प्रकृति से जुड़ने का अवसर प्रदान करेगा।
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